इस बार मेरे प्यारे पहाड़ी हैं उत्तराखंड के दो बहुत ही लोकप्रिय गायक।
यह दोनों मेरी ज़िन्दगी के हिस्सा बन गए है जुबिन नौटियाल और दर्शन फर्स्वाण जिनके गाने मैं हमेशा सुनती रहती हूँ। अपने कार में , चित्रकारी करते समय और दोस्तों क साथ।
क्या हुआ अगर अगर वो कुछ मोटा लगता है क्या हुआ अगर वो नाच नहीं पाता … तो क्या हुआ अगर लोग उसपर यह आरोप लगाते है की उसने पुराने पाकिस्तानी कवालियों को अपना लिया। जुबिन नौटियाल दुनिया बार में धूम मचा दिया है। उसकी सफलता उसकी मानशिक सक्ति और हार न मैंने के निश्चय से मिली और यस भी की उसकी माली हालत बहुत अच्छी थी। वह टिका रहा, मुंबई में रहा लेकिन अंत में उसकी जीत हुई। शुरुआत के अवहेलना और अस्वीकार के बावजूद वो टिका रहा मुंबई में रहा और बाकी की कहानी तो सब देख रहे है। हम सब को बहुत प्यार है जुबिन से। और बॉलीवुड तो इसे बाहें फैला कर स्वीकार कर चूका है। उसके पिटे आशिक गाने मुझे अपने बचपन क प्रिये गायक तलत महमूद की याद दिलाता है जिनके गाने सुन सुन कर अपने ख़यालों में आशिकी का अंदाज़ लाती थी। जुबिन ने अपने मधुर आवाज़ में बुहत सरे गाने गए है जैसे “बन्देया” जज़्बा और “मेहरबानी” द सौकीन्स में लेकिन उनकी करियर का सबसे सुनहरा मोड़ आया जब उन्होंने “बजरंगी भाईजान” का सफर वाला गाना ज़िन्दगी कुछ तो बता गया। अपनी सफलता का श्रेय सुन्दर लिरिक्स और भावपूर्ण स्वर और कुछ किस्मत को ेते है।
टी सीरीज के भूषण कुमार कहते है जुबिन हमारे कंपनी के एक बहुत ही प्रतिभाशील गायक है। इंडिपेंडेंडे म्यूजिक बनाने का ऐसा जूनून मैंने किसी में नहीं देखा। वो ही “है प्यार क्या”जैसे भावपूर्ण गाना बना सकता था।
मैं जुबिन से नहीं मिली हूँ मैं दूर से ही उसकी फैन हु। जबकि वह कुछ समय देहरादून में बिताते हैं और मैं मसूरी में रहती हूँ। खैर जुबिन नौटियाल मिडिया सैवी हैं उनके जीवन के बारे में इंटरनेट से बहुत कुछ जाना जा सकता है इसलिए रियल्टी शो में क्या हुआ बारे में बोलने की जरूरत नहीं। इतना पर्याप्त है की जुबिन के गाने भरत में और दुनिआ भर में बहुत लोकप्रिय है।
तो उसके संगीत पर तो हम सब मुग्ध हो चुके है लेकिन आप लोगों ने मेरे सबसे प्रिये दर्शन फर्शवान को सुना है ? वैसे वो अभी तक सिर्फ गढ़वाली भाषा में ही गाते है। उसने मेरे दिल दिमाग आत्मा सब पर प्रभाव छोड़ा है। और वो मुझे किसी की भी याद नहीं दिलाता है क्युकी वो बिलकुल अजूबा है। शिव भगवान या नंदा देवी के उसके गाने सुनती हु तो मैं मुग्ध हो जाती हूँ। न वो संगीत सीखा है न किसी रियलटी शो में हिस्सा लिया है। सिर्फ अपनी माँ से गाना सीखा है। लेकिन दर्शन फर्शवान उत्तराखंड में बहुत लोकप्रिय है। उन्होंने गढ़वाली कुमाऊनी और जोनसरी गाने गए है। उसका पहला सुपरहिट था डाडु जोरिया वाला गाना। पहाड़ी लोग जहाँ भी हों उनपर फ़िदा है। इसने पहाड़ो के परम्पराओं को बड़ी ख़ूबसूरती से अपने गीतों में ढाला है और सबको बहुत गर्व है की युवकों को भी बहुत भाया। २ हफ्ते में ही ढाई लाख लाइक मिले थे उनके जागर एलबम को जो इन्होने खुद लिखा और गाय था।
कांता प्रसाद के एल्बम के निदेशक और प्रोडूसर कहते हैं कि उन्हें बहुत खुशी है कि फर्शवान के जागर को उत्तराखंड के गाने बजाने की सबसे पुरानी परंपरा है सबको यहां तक की जवान लोगों ने भी खूब पसंद किया।
मेरे लिए उसकी आवाज शैली और उसके म्यूजिक वीडियो स्मरणीय हैं। बहुत अच्छे लगते हैं। दर्शन फर्शवान संगीत की दुनिया में शुरुआत की धार्मिक गानों से धूम मचा दिया। उसकी जागर ने पहाड़ी परंपराओं को एक नई पहचान दी। उनके खुद जाकर शैली में एक नया गाना पेश किया।
सोचने की बात यह है कि फर्शवान ने गढ़वाली धार्मिक गानों से अपनी पहचान बनाई लेकिन बाद में रंगीली भानो जैसी गाने भी गाए जिसमें लड़कियां अपने झुमके गिराती रहती हैं। और वहीँ जुबीन तमिल बांग्ला और पीटा आशिकी के हिंदी गानों से धूम मचाने के बाद आप पहाड़ी गाने और धार्मिक गानों से हमारा मन लगा रहे हैं। जैसे खजन दत्त शर्मा का जौनसरी गाना ओ साथी ओ साथी का अनुवाद इसे बादशाह ने भी गाय है उसके संग। फिर अमृतवाणी कबीर के दोहे और माता के गाने के एल्बम गये।
फर्शवान तो लोकप्रिय हो रहा है और अपने हनीमून पर ट्रक और कैंपिंग कर रहा है।
गुस्ताखी माफ लेकिन मेरे लिए फर्शवान एक अनोखा और स्वादिष्ट उत्तराखंड का थाल है और जुबिन एक वो फल है जो कुछ ज्यादा चॉकलेट में डूबा है …।